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मानव अधिकार सब के लिए बराबर – नवाब आकिब हसन।

 

 

तमाम इंसान आज़ादी, हुक़ूक़ और इज़्ज़त के ऐतबार से बराबर पैदा हुए हैं। हर शख्स उन तमाम आज़ादियों और हुक़ूक़ का मुस्तहिक़ है जो यू एन ओ के ऐलान में बयान किये गए हैं। जिस में जाति, धर्म, मज़हब, रंग, नस्ल और अक़ीदे को मानने की आज़ादी के हक़ की बात कही गयी है।

विश्व मानवाधिकार दिवस के मौके पर एस० फ़ातिमा एजुकेशनल सोसाइटी के महाप्रबंधक नवाब आकिब हसन ने प्रेस को जारी एक विज्ञप्ति में कहा कि हर शख्स को बराबरी और मसावात के साथ जीने का मौलिक अधिकार है और किसी प्रकार की प्रताड़ना बिलकुल जुर्म है। ये आब ओ हवा और फ़िज़ा इंसान को ऐसे हुक़ूक़ देते है जिसमें वो खुल कर जी सके। समाज में फैली हुई बुराइयों और भेदभाव की कड़े शब्दों में निंदा करते हुए उन्होंने कहा कि मौलिक अधिकार समाजी और सियासी पैमाने पर इंसान को और दुनिया के हर बाशिंदे को बगैर किसी ग़ुलामी, प्रताड़ना और भेदभाव के अपनी मर्ज़ी से रहन सहन का हक़ देते है। एक ज़िम्मेदार नागरिक बनने की अपील करते हुए उन्होंने कहा कि अपने अधिकारों को पहचानने और जागरूक होने की ज़रूरत है । वक़्त और हालात के ऐतबार से हुक़ूक़ की लड़ाई लड़ना बेहद अहम है चूँकि उन बेड़ियों को तभी कुचला जा सकता है जब नफ़रत और अदावत के दामन को छोड़ कर उसके खिलाफ खड़े होंगे और मुत्तहिद हो कर आलमी सतह पर भाईचारगी का सबूत देगे। आवाज़ को बुलंद करना होगा, तभी दबे और कुचले तबक़े की इज़्ज़त महफ़ूज़ हो सकती है। शिक्षा के महत्व पर ज़ोर देते हुए हसन ने कहा शिक्षा निहायत ज़रूरी है तभी जागरूकता फ़ैल सकती है। हर शख्स एक ज़िम्मेदारी के साथ सियासी या समाजी पैमाने पर एक दूसरे के हुक़ूक़ की इज़्ज़त करते हुए बराबरी का पैगाम दे और और आये दिनों घटित होने वाली मुजरिमाना घटनाओं से बाज़ आये। इसी के ज़रिये अमन और शांति व देश और मुल्क की खुशहाली संभव है।

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